Friday 6 April 2012

चाँद के दस्तखत..

 वक़्त की टहनी से, एक रात तोड़ कर,
एक ख्वाब जिया और  .....
ले लिए थे दस्तखत चाँद के
ताकि सनद रहे...!
हवा की रोशनाई से किये थे  जो सही
चाँद ने ,
महकते  हैं आज भी वो रातरानी से .....
आज जब नही हो तुम
ना ही उस गुज़िश्ता ख्वाब की
ताबीर की जुस्तजू,लेकिन
दिल के सादा कागज़ पे
चाँद के दस्तखत मौजूद  हैं किये थे उस ने
जो चांदनी की रौशनाई से,
ताकि सनद रहे....!
चाँद के उस दिठौने से सही ने,
दे दी है गवाही उस खूबसूरत से रिश्ते की,
जो जिया था हम ने ख्वाब में...और ,
बीज दिया है मेरे अहसास की गीली मिटटी पे,
एक रिश्ता बरगद के मानिंद...!
जो सिखाता है मुझे
 जीवन जीने की कला..
उस के पत्तों से छन-छन कर
आती चांदनी,
दुलरा जाती है मुझे.....
दूर फलक पे चाँद मुस्कुराता है,
किसी वीतरागी की तरह.....!


1 comment:

  1. बेहद सुंदर रचना !
    अभिनंदन दीदी ..

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