Monday 14 May 2012

माई..!

मोरी अंखियन ते अंसुआ निकरि के,
जाई अम्मा तोरे अंचरा माँ दुबके..!
मोरे अंचरा के दुःख महतारी,
तोरे हियरा माँ लागि के सुबके.......!
...
तुमही देवी बसौनी मोरी मईया,
छिनु-छिनु पइयां तोरी लागों रे माई!

मूंदी अंखियन का हियरा माँ अपने,
मईया तोरी सुरतिया निहारों...!
ध्वावन अंसुवन ते त्वार चरनवा,
धरिके अंचरा हओं तोहिका जुहारों.!

मोरी गूंगी दरदिया का जानए,
अईस कौनो सनेहिया न पावा...!
साँची लागै पिरितिया तोरी माई,
सारी दुनिया करति है दिखावा..!

जब ते बिछुरी मोहिते री माई,
कौनों पावा न दुखवा पुछईया...!
फरफरावती हैं ऐसे परनवा,
जैसे पिजरा माँ फरकै चिरैया..!

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